देश की आजादी में नोनिया समाज की कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता- गणेश भारती पूर्व विधान पार्षद, राष्ट्रीय अध्यक्ष नोनिया चेतना मंच

Team Nonia
29 Dec 2022
Politics

देश की आजादी में नोनिया समाज की कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता.. गणेश भारती पूर्व विधान मित्रों जब हमारा देश गुलाम था भारत माता के पैरों में बंधी हुई गुलामी की जंजीर को तोड़ने के लिए नोनिया समाज के लोगों ने अपनी कुर्बानी देने का काम किया इतिहास गवाह है नोनिया विद्रोह. नमक सत्याग्रह. या चंपारण सत्याग्रह जब इस देश में नोनिया समाज के लोग जब अंग्रेजी हुकूमत द्वारा नमक और शोरा बनाने पर प्रतिबंध लगाया तो नोनिया समाज के लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत द्वारा लगाए गए नमक और सोरा बनाने के प्रतिबंध के खिलाफ नोनिया विद्रोह करने का काम किया नोनिया समाज का मुख्य व्यवसाय नमक और शोरा बनाना था जिससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी मजबूत थी सोरा बारुद बनाया जाता था और अंग्रेजी हुकूमत को लगा कि अगर इसका उत्पादन हुआ तो सोरा बनने से बनने वाला बारुद हमारी हुकूमत पर चलेगा इसीलिए उन्होंने नमक और सोरा दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया 1757 मे शुरू हुए नमक विद्रोह आंदोलन में नोनिया समाज के हजारों लोगों ने अपनी पुश्तैनी व्यवसाय को जिंदा रखने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ कर अपनी कुर्बानी देने का काम किया लेकिन दुर्भाग्य है इस समाज की कुर्बानी को अनदेखा किया गया 1757 से लेकर 1857 तक नोनिया विद्रोह की चर्चा इतिहास में तो दर्ज है लेकिन इस विद्रोह में मारे गए लोगों की चर्चा शून्य के बराबर है 1930 में नमक सत्याग्रह शुरू किया गांधीजी को ऐसा लगा अंग्रेजी हुकूमत नमक बनाने वाले समुदाय को इससे व्यवसाय से अलग कर उनकी आर्थिक सामाजिक स्थिति को दयनीय कर दिया तब उन्होंने नमक पर लगे टैक्स और नमक बनाने पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ दांडी मार्च करने के काम किया उक्त आंदोलन में भी नोनिया समाज के लोगों ने नमक सत्याग्रह में बड़े पैमाने पर भाग लिया और अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देने का काम किया नोनिया समाज का इतिहास इस देश की आजादी के लिए बरा योगदान है नोनिया समाज की इतिहास को और उनकी कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता देश की एकता अखंडता संप्रभुता के लिए समर्पित यह समाज आज भी उपेक्षित है 1917 में जब बिहार और चंपारण में नील हो सरकार के द्वारा किसानों पर बर्बरतापूर्वक अत्याचार जुल्म किया जा रहा था मोहनचंद करमचंद गांधी चंपारण में आकर किसानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आंदोलन चलाया उक्त आंदोलन में नोनिया समाज के सैकड़ों लोगों ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाया गया आंदोलन में भाग लेने का काम किया जब चंपारण में महात्मा गांधी जी चंपारण सत्याग्रह शुरू किए तो राजकुमार शुक्ल अन्य लोग भी चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की तो नोनिया समाज का बेटा मुकुटधारी चौहान ने भितिहरवा में जमीन देने का काम किया और महात्मा गांधी जी वहां पर एक आश्रम बनाकर अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देने लग गए भितिहरवा आश्रम में महात्मा गांधी जी की पत्नी माता कस्तूरबा गांधी ने एक बुनियादी विद्यालय की स्थापना की उक्त बुनियादी विद्यालय में पहला नामांकन मुकुटधारी चौहान जी का हुआ देखते देखते सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उक्त विद्यालय में नामांकन कराने का काम किया लेकिन दुर्भाग्य है नोनिया समाज देश की आजादी में कुर्बानी देने वाले लोगों का इतिहास के पन्ने में नाम नहीं है नोनिया समाज के बुद्धू नोनिया जिन्होंने नमक और सोरा बनाने के प्रतिबंध लगाने के बावजूद नमक और शोरा बनाते रहे तो अंग्रेजी हुकूमत ने बुद्धू नोनिया को खोलते हुए कराही में जिंदा डाल दिया इस तरह का अंग्रेजी हुकूमत द्वारा क्रूरता और अत्याचार किया गया लेकिन आज देश की आजादी का लगभग 70 वर्ष पूरा हो चुका है लेकिन इस समाज की वेदना को दर्द को पीड़ा को समझने के काम किसी ने नहीं किया आज यह समाज अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति से भी बख्तर की स्थिति में अपना जीवन यापन कर रहा है आज समाज आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी पिछड़ा हुआ है जब तक इस समाज को मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक ही समाज का विकास संभव नहीं आज देश के सबसे बड़ा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और समाज को विकास की ओर ले जाने वाले संसद भवन में सांसद के रूप में एक भी नोनिया का बेटा लोकसभा में राजसभा में नहीं है देश की सत्ता की राजनीति करने वाले राजनेता सर्वहारा की बात करते हैं वंचितों की बात करते हैं उनको हक देने की बात करते हैं लेकिन सत्ता में हिस्सेदारी की बात नहीं करते यही वजह है देश के जितने भी राजनीतिक पार्टियां है चाहे वो राष्ट्रीय कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी हो या राष्ट्रीय जनता दल हो या जनता दल यूनाइटेड हो या सीपीआई हो सीपीएम हो सभी पार्टियां उपेक्षा की है जब तक नोनिया समाज को मान सम्मान और सत्ता में हिस्सेदारी भागीदारी नहीं मिलेगी तब तक इस समाज का सर्वांगीण विकास संभव नहीं होगा